Vyakaran ki Path Yojna Kaise Banai Jaati Hai?

व्याकरण की पाठ योजना कैसे बनाई जाती है?

Vyakaran ki Path Yojna Kaise Banai Jaati Hai?

नमस्कार दोस्तों, आज हम जानेंगे कि व्याकरण की पाठ योजना कैसे बनाई जाती है? लेकिन व्याकरण की पाठ योजना कैसे बनाये यह जानने से पहले हम बात करेंगे कि पाठ योजना होती क्या है? इसकी हमे क्यों जरूरत पड़ती है? आदि |


पाठ योजना क्या है?

पाठ योजना शिक्षण कराने से पूर्व बनाई जाती है | जिसके माध्यम से शिक्षक अपने शिक्षण कार्य को सही ढंग से और समय पर पूरा कर पाता है और साथ ही पाठ योजना के माध्यम से शिक्षण कार्य को एक नियोजित ढंग से पूर्ण करने के साथ-साथ शिक्षण उद्देश्य, पूर्व ज्ञान, मूल्याङ्कन आदि का कार्य भी पूर्ण हो जाता है |

शिक्षक द्वारा स्वयं पाठ योजना तैयार करने से कक्षा में जाने से पूर्व ही वह शिक्षण कार्य कराने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो जाता है |

और जब वह शिक्षण कार्य कराने के लिए विद्यार्थीयों के समक्ष कक्षा में बिना किसी बाधा के वो शिक्षण कार्य करा पाता है |


पाठ योजना की परिभाषा

''पाठ योजना पूर्व नियोजित एक ऐसा कार्य है जिसमे यह देखा जाता है कि जिन लक्ष्यों-उद्देश्यों को हमे प्राप्त करना है, उन्हें किन विधियों, प्रविधियों, एवं शिक्षण उपकरणों की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है और साथ ही प्रभावी मूल्याङ्कन किस प्रकार किया जा सकता है |"


पाठ योजना का महत्व

  • पूर्व ज्ञान के आधार पर नवीन ज्ञान को आसानी से समझ लेना |
  • मनौवैज्ञानिक ढंग से शिक्षण होता है |
  • शिक्षण कार्य विषयवस्तु पर केन्द्रित होता है |
  • शिक्षक और विद्यार्थी दोनों ही सक्रीय रूप से भाग लेते है |
  • पाठ्यक्रम क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करने में, आदि |


Vyakaran ki Path Yojna Kaise Banai Jaati Hai?

जिस प्रकार हम गद्य-पद्य भाग के लिए अलग-अलग पाठ योजना बनाते है, ठीक उसी प्रकार हम व्याकरण के लिए निर्धारित प्रारूप में व्याकरण की पाठ योजना बनाते है | 

आज हम व्याकरण की पाठ योजना बनाना सीखेंगे |


व्याकरण की पाठ योजना का प्रारूप

1. श्यामपट्ट पूर्ति

इसमें विद्यालय का नाम, कक्षा, विषय, कालांश, दिनांक, प्रकरण, अवधि आदि की पूर्ति की जाती है |

विद्यालय का नाम:- दिनांक:-
कक्षा:- कालांश:-
विषय:- अवधि:-
उप-विषय:- व्याकरण प्रकरण:-

2. सामान्य उद्देश्य

इसमें लम्बे समय में प्राप्त होने वाले सामान्य उद्देश्य शामिल किये जाते है |

3. विशिष्ट उद्देश्य

इसमें शिक्षण के दौरान और शिक्षण के पश्चात प्राप्त होने वाले उद्देश्यों को शामिल किया जाता है | सामान्यतया विशिष्ट उद्देश्यों के अन्तर्गत चार प्रकार के उद्देश्य शामिल किये जाते है जो कि निम्न है-

  1. ज्ञानात्मक
  2. बोधात्मक
  3. प्रयोगात्मक
  4. कौशलात्मक
क्र. सं. विशिष्ट उद्देश्य अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन
1 ज्ञानात्मक विद्यार्थी विषयवस्तु का प्रत्याभिज्ञान कर सकेंगे |
2 बोधात्मक विद्यार्थी विषयवस्तु को समझ सकेंगे |
3 प्रयोगात्मक विद्यार्थी विषयवस्तु का अपने दैनिक जीवन में प्रयोग कर सकेंगे |
4 कौशलात्मक विद्यार्थी विषयवस्तु से सम्बन्धित चार्ट-मॉडल आदि बना सकेंगे |

4. सहायक सामग्री

इसमें शिक्षण में काम आने वाली मुख्य सामग्रियों को लिखा जाता है | जैसे कि:- पाठ्य पुस्तक, चार्ट, मॉडल, श्वेतवृतिका, झाडन आदि |

5. पूर्व ज्ञान

पूर्व ज्ञान के आधार पर ही प्रस्तावना प्रश्नों के माध्यम से पाठ की शुरुआत की जाती है |

6. प्रस्तावना प्रश्न

इसमें पूर्व ज्ञान से सम्बन्धित प्रश्न की शुरुआत की जाती है और विद्यार्थी से कम से कम 3 प्रश्न पूछे जाते है | ये प्रश्न और इनके उत्तर आपस में सम्बन्धित होने चाहिए और अंतिम प्रश्न समस्यात्मक होना चाहिए |

जैसे कि:-

क्र. सं. शिक्षक क्रिया विद्यार्थी क्रिया
1 व्यक्ति वस्तु आदि के नाम को क्या कहते है? संज्ञा
2 संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को क्या कहते है? सर्वनाम
3 संज्ञा, सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को क्या कहते है? विशेषण
4 विशेषण की परिभाषा बताइये | समस्यात्मक

7. उद्देश्य कथन

इस कथन के माध्यम से विद्यार्थियों के समक्ष प्रकरण को प्रस्तुत किया जाता है |

जैसे कि:- "विद्यार्थियों आज हम 'विशेषण' के बारे में विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे |"

8. प्रस्तुतीकरण

इस भाग में नवीन ज्ञान को विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है |

पाठ का विकास

शिक्षण कार्य को आसान बनाने के लिए' पाठ को खंडो में भी विभक्त किया जा सकता है, जिसे अन्विति कहा जाता है |

विशलेषण-संश्लेषण या नियमीकरण

शिक्षक द्वारा पाठ का विशलेषण-संश्लेषणकिया जाता है |

उदाहरण

विशलेषण-संश्लेषण के पश्चात् शिक्षक उदहारण प्रस्तुत करता है |

विकासात्मक प्रश्न(3-4 प्रश्न)

शिक्षक विद्यार्थियों से विकासात्मक प्रश्न करता है, और अंतिम प्रश्न समस्यात्मक होता है |

लघु नियम

विद्यार्थियों के समक्ष नियम प्रस्तुत किया जाता है |

उदाहरण

नियम के पश्चात् शिक्षक उदहारण प्रस्तुत करता है |

विकासात्मक प्रश्न(3-4 प्रश्न)

फिर से शिक्षक विद्यार्थियों से विकासात्मक प्रश्न करता है, और अंतिम प्रश्न समस्यात्मक होता है |

लघु नियम

विद्यार्थियों के समक्ष नियम प्रस्तुत किया जाता है |

उदाहरण

नियम के पश्चात् शिक्षक उदहारण प्रस्तुत करता है |

विकासात्मक प्रश्न(3-4 प्रश्न)

फिर से शिक्षक विद्यार्थियों से विकासात्मक प्रश्न करता है, और अंतिम प्रश्न समस्यात्मक होता है |

सिद्धांत निरूपण

अन्त में सभी का एक सार निकालकर सिद्धांत का रूप दिया जाता है |

9. अभ्यास प्रश्न(3-4 प्रश्न)

शिक्षक कक्षा-कक्ष में ही विद्यार्थियों से अभ्यास प्रश्न करता है |

10. मूल्याङ्कन प्रश्न

शिक्षक कक्षा-कक्ष में ही विद्यार्थियों से मूल्याङ्कन प्रश्न करता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि विद्यार्थियों ने क्या और कितना सिखा |

11. गृहकार्य

अंत में सभी विद्यार्थियों को अभ्यास हेतु एवं समय का सदुपयोग हो सके इसलिए गृहकार्य किया जाता है |


तो दोस्तों आज हमने जाना कि व्याकरण की पाठ योजना कैसे बनाई जाती है? व्याकरण पाठ योजना के इस प्रारूप के आधार पर आप व्याकरण के किसी भी प्रकरण पर पाठ योजना बना सकते है |

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